बड़ी आरज़ू थी मेहबूब को
बड़ी आरज़ू थी मेहबूब
को बे-नकाब देखने की,
दुपट्टा जो सरका तो कमबख्त
जुल्फें दीवार बन गई !!
badi aarazu thi mehabub
ko be-nakaab dekhane ki,
dupatta jo saraka to kamabakht
julfen divaar ban gai !!
Romantic Shayari
2 years ago